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विपत्ति की आशंका से घबराइए नहीं


एक महापुरुष का कथन है कि 'कठिनाई एक विशालकाय, भयंकर आकृति के, किंतु कागज के बने हुए हाथी के समान है। जिसे दूर से देखने पर बड़ा डर लगता है, पर एक बार जो साहस करके पास पहुँच जाता है, उसे प्रतीत होता है कि वह केवल एक कागज का खिलौना मात्र है। बहुत से लोग चूहों की खट-पट सुनकर डर जाते हैं, पर ऐसे भी लाखों योद्धा हैं, जो दिन-रात आग उगलने वाली तोपों की छाया में सोते हैं। एक व्यक्ति को एक घटना वज्रपात के समान असह्न अनुभव होती है, परंतु दूसरे आदमी पर जब वही घटना घटित होती है तो लापरवाही से कहता है-“उँह, क्या चिंता है, इससे भी निपट लेंगे।" ऐसे लोगों के लिए वह दुर्घटना 'स्वाद परिवर्तन की एक सामान्य बात होती है। विपत्ति अपना काम करती है और वे अपना काम करते रहते हैं।


बादलों की छाया की भाँति बुरी घड़ी आती है और समयानुसार टल जाती है, बहादुर आदमी हर नई परिस्थिति के लिए तैयार रहता है, पिछले दिनों यदि मौज-बहार के साधनों का वह उपभोग करता था, पर जब मुश्किलों से भरे हुए अभावग्रस्त दिन बिताने पड़ेंगे तो वह इसके लिए भी तैयार रहता है। इस प्रकार का साहस रखने वाले वीर पुरुष ही इस संसार में सुखी जीवन का उपयोग करने के अधिकारी हैं। जो लोग भविष्य के अंधकार की दुःखद कल्पनाएँ कर-करके अभी से सिर फोड़ रहे हैं, वे एक प्रकार के नास्तिक हैं। ऐसे लोगों के लिए यह संसार सदा से दुःखमय नरक रूप रहा है और आगे भी सदा दुःख रूप ही रहेगा । हमें चाहिए कि हर स्थिति में प्रसन्न रहें और भावी विपत्ति की आशंका से घबराने के बजाय उससे मुकाबला करने की तैयारी करें।



- पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

अखंड ज्योति, दिसंबर 2021


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