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मनुष्य की महानता का रहस्य

मनुष्य सब प्राणियों से श्रेष्ठ है। शक्तिमान् होना अथवा शक्तिहीन होना मनुष्य के स्वयं अपने हाथ में है।

अपनी प्रत्येक आदत एवं वासना के ऊपर आप नियंत्रण पा सकते हैं, क्योंकि आप अनंत परमात्मा के एक अंश हैं और परमात्मा के बल के आगे ऐसा कुछ भी नहीं है, जो टिक सके। अनेक मनुष्य हलके प्रकार का जीवन इस तरह बिताते हैं, जिसमें व्यक्ति स्वतंत्र होता ही नहीं है। क्या तुम्हें इस संसार में प्रभावशाली बनना है? यदि हाँ, तो आप अपने आप पर निर्भर रहो और स्वतंत्र बनने का प्रयत्न करो। अपने आप को साधारण मनुष्य मत समझो। हम गरीब हैं, हमसे क्या होगा, ऐसा मत कहो।



यदि आप परमात्मा के ऊपर विश्वास रखकर लोगों की आलोचना से नहीं डरोगे, तो प्रभु अवश्य आप को सहायता देगा। यदि लोगों को खुश करने के लिए अपना जीवन बिताएँगे, तो लोगों से आप कदापि खुश नहीं रहेंगे, बल्कि जैसे-जैसे आप उन्हें खुश रखने में लगेंगे, वैसे-वैसे ही आप गुलाम बनते जाऍगे, वैसे-वैसे ही आप से उनकी माँग भी बढ़ती जाएगी।


जो कोई स्वाभाविक रीति से अपनी सामर्थ्य का उपयोग करता है, वह निश्चित रूप से महान् पुरुष है। जिन मनुष्यों को अपनी मूलशक्ति आत्मशक्ति का भान होता है, वे ओछे और बेकार काम करते हुए नहीं दिखाई देते।


📖 अखण्ड ज्योति-मई 1948 पृष्ठ 7


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