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प्राकृतिक उपचार से घटाएँ-कोलोस्ट्रॉल


घरेलू प्राकृतिक उपायों से कम करें कोलेस्ट्रॉल

(1) चोकरयुक्त आटे की रोटी खाएँ। हरी सब्जियों, सलाद एवं फल की मात्रा बढ़ाएँ।

(2) सरसों का तेल (कच्ची घानी का) या सूरजमुखी का तेल उपयोग करें, परंतु मात्रा कम ही हो।

(3) हरी पत्तेदार शाक-सब्जी, पत्तागोभी, सफेद कद्दू (पेठा), टमाटर, गाजर, अमरूद, सेब, पपीता, लौकी, खीरा, संतरा, अंगूर का सेवन कीजिए। प्रतिदिन 2 अखरोट, 4 बादाम, 2 अंजीर, 10 मुनक्का पानी में रातभर भिगोए हुए का सेवन कीजिए। इनसे रक्त की क्षारीयता बढ़ेगी।

(4) इसबगोल की भूसी नित्य 5 ग्राम अवश्य सेवन करें।

(5) नित्य 5 ग्राम लहसुन, 5 ग्राम अजवायन का सेवन करें। धनिया के बीजों का काढ़ा, गेहूँ के जवारों का रस, करेला का रस, लौकी का रस, पेठे (सफेद कद्) का रस, खीरे का रस अधिक लाभप्रद होता है।

(6) 50 ग्राम अंकुरित अनाज, 20 ग्राम अंकुरित मेथी, 30 ग्राम अलसी सेंककर नित्य सेवन कीजिए।

(7) रात को देशी चना पानी में भिगोकर रखें; प्रातः छानकर पानी पिएँ। चना का सेवन उबालकर या सेंककर भी कर सकते हैं।

(8) दोपहर के भोजन के बाद गाय का दही 250 ग्राम (बिना मलाई का) लेकर मथ लें, उसमें 12 रत्ती भुनी हींग तथा सेंधानमक या कालानमक स्वादानुसार मिलाकर पिएँ।

(9) हरी सब्जियों में लोवेस्टेटिन नामक फाइटोकेमिकल होता है, जो कोलेस्ट्रॉल घटाने में सहायक होता है। हृदय रोगों से बचाता है, रक्त की अम्लता को कम करता है।

(10) प्रातः की अमृतवेला में प्रसन्नचित्त होकर खुली प्राकृतिक हवा में सैर कीजिए। स्वयं प्रसन्न रहें, दूसरों को भी प्रसन्न रखिए, जिससे अंत:स्रावी ग्रंथियों से स्ट्रेस हॉर्मोन का स्राव न हो तथा हेप्पी हॉर्मोन का स्राव बढ़े, तनाव कम हो।

(11) कपालभाति प्राणायाम अपनी क्षमता एवं अवस्थानुसार उचित मार्गदर्शन में करें।

(12) शारीरिक श्रम को दैनिक जीवन में महत्त्व दें।

(13) अलसी में लेसीथीन होता है, जो रक्त नलिका में कोलेस्ट्रॉल नहीं जमने देता है। अत: अलसी को प्राथमिकता दें।

(14) लौकी का रस 2 माह तक दिन में 2 बार एक-एक कप पीना लाभप्रद होता है।

(15) उपलब्ध फलों का रस प्रतिदिन सेवन कीजिए।

(16) टमाटर का जूस या सूप पिएँ।


प्राकृतिक उपचार

(1) प्रात: ठंढा कटिस्नान का 10 मिनट उपचार लेकर प्रात: सैर करें।

(2) पेट पर मिट्टी की पट्टी या पेट की गरमठढी सेंक का उपचार लेने के बाद एनिमा द्वारा बड़ा आँत की सफाई कर लेनी चाहिए।

(3) सप्ताह में एक दिन धूप-स्नान तथा 2 दिन भाप-स्नान या गीली चादर लपेटकर चिकित्सा लेना लाभप्रद रहेगा।

(4) गरम-ठंढा कटिस्नान तथा उष्ण पाद-स्नान भी लाभप्रद होता है।

(5) सप्ताह में एक दिन तेल-मालिश का उपचार देना चाहिए।

(6) प्रात: उषापान में गरम पानी (नीबू का रस मिलाकर) पिएँ। नीबू में नीमोलीन तत्त्व होता है, जो हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। रक्त नलिकाओं की शुद्धि करता है।


-पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

युग निर्माण योजना

फरवरी 2021


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