top of page
Post: Blog2_Post

धर्म का सार तत्त्व


ree

अस्त-व्यस्त जीवन जीना, जल्दबाजी करना, रात-दिन व्यस्त रहना, हर पल-क्षण को काम-काज में ही ठूसते रहना भी मनःक्षेत्र में भारी तनाव पैदा करते हैं। अतः यहाँ यह आवश्यक हो जाता है कि अपनी जीवन विधि को, दैनिक जीवन को विवेकपूर्ण बनाकर चलें। ईमानदारी, संयमशीलता, सज्जनता, नियमितता, सुव्यवस्था से भरापूरा हल्का-फुल्का जीवन जीने से ही मनःक्षेत्र का सदुपयोग होता है और ईश्वर प्रदत्त क्षमता से समुचित लाभ उठा सकने का सुयोग बनता है।कर्तव्य के पालन का आनंद लूटो और विघ्नों से बिना डरे जूझते रहो। यही है धर्म का सार तत्त्व।


हारिए न हिम्मत

-पंडित श्रीराम शर्मा आचार्या


Comments


©2020 by DIYA (Youth wing of AWGP). 

bottom of page