top of page
Post: Blog2_Post

जीवन की प्रतिकूलताऐं

इस संसार में सब कुछ हँसने के लिए उपजाया गया है। जो बुरा और अशुभ है, वह हमारी प्रखरता के लिए चुनौती के रूप में है। परीक्षा के प्रश्नपत्रों को देखकर जो छात्र रोने लगे, उसे अध्ययनशील नहीं माना जा सकता। जिसने थोड़ी-सी आपत्ति, असफलता एवं प्रतिकूलता को देखकर रोना-धोना शुरू कर दिया, उसकी आध्यात्मिकता पर कौन विश्वास कर सकता है ?

प्रतिकूलता हमारे साहस को बढ़ाने, धैर्य को मजबूत करने और सामर्थ्य को विकसित करने आती है। सरल जिंदगी यदि संघर्षमय न हो सके, तो वह सबसे भद्दे ढंग की ही होगी। जो सरलतापूर्वक दिन गुजारता रहता है, उसमें न तो किसी प्रकार की विशेषता रह जाती है और न प्रतिभा । संघर्ष के बिना भी भला कहीं इस दुनिया में किसी का जीना संभव हुआ है ?


नई उपलब्धियों में हमें हँसना चाहिए; अब तक जो मिल चुका उसमें संतोष व्यक्त करना चाहिए और भविष्य की शुभ संभावनाओं की कल्पना करके सदा प्रमुदित होते रहना चाहिए।


युग निर्माण योजना

दिसंबर २०२०



Comments


©2020 by DIYA (Youth wing of AWGP). 

bottom of page