मौन एक साधना है
- Akhand Jyoti Magazine
- May 25, 2021
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अपने द्वारा बोले गए प्रत्येक बुरे शब्द के लिए मनुष्य को फैसले के दिन सफाई देनी होगी। बुरे शब्दों से हम मौन के द्वारा ही बच सकते हैं।
स्मरण रहे कि सहज मौन ही हमारे ज्ञान की कसौटी है। जानने वाला बोलता नहीं और बोलने वाला जानता नहीं। इस कहावत के अनुसार जब हम सूक्ष्म रहस्यों को जान लेते हैं, तो हमारी वाणी बंद हो जाती है। ज्ञान की सर्वोच्च भूमिका में सहज मौन स्वयमेव पैदा हो जाता है।
स्थिर जल बड़ा गहरा होता है।
उसी तरह मौन मनुष्य के ज्ञान की गंभीरता का चिह्न है। वाचालता पांडित्य की कसौटी नहीं है, वरन गहन-गंभीर मौन ही मनुष्य के पंडित और ज्ञानी होने का प्रमाण है। मौन ही मनुष्य की विपत्ति का सच्चा साथी है, जो अनेक कठिनाइयों से बचा लेता है।
आत्मा की वाणी सुनने के लिए; जीवन और जगत के रहस्यों - को जानने के लिए; लड़ाई-झगड़े, वाद-विवादों को नष्ट करने के लिए; वाचिक-पाप से बचने के लिए; ज्ञान की साधना के लिए; विपत्तियों के दिनों को गुजारने के लिए; वाणी के तप के लिए तथा अन्यान्य हितकर परिणामों के लिए हमें मौन का अवलंबन लेना चाहिए। दैनिक जीवन में मित-भाषण और हित-भाषण की आदत डालकर हम लौकिक और आध्यात्मिक प्रगति का द्वार ही प्रशस्त कर सकते हैं।
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