इसे क्या आशीर्वाद दूं?
- Akhand Jyoti Magazine
- Jun 11, 2021
- 1 min read
सिनाका प्रसिद्ध संत थे। उनका एक शिष्य अपने नवजात शिशु को उनसे आशीर्वाद दिलाने पहुंचा। सिनाका बोले - " इसे क्या आशीर्वाद दूं?" शिष्य ने अनुरोध किया - "बस, इतना कह दें कि इसका व्यक्तित्व परिपक्व और तेजस्वी निकले।"
सिनाका बोले - "भगवान करे कि इसके जीवन में संघर्ष की कमी ना रहे।"
शिष्य घबराया तो सिनाका उसे समझाते हुए बोले -"पुत्र! बिना तराशे हीरे की कीमत पत्थर से ज्यादा नहीं होती। संघर्ष और कठिनाइयां मनुष्य के व्यक्तित्व को मजबूत और सुगढ़ बनाते हैं। जैसे श्रम के अभाव में शरीर नकारा हो जाता है, वैसे ही विपरीत परिस्थितियों से टकराए बिना मनुष्य का व्यक्तित्व निष्प्राण रहता है। ये विषम घड़ियां ही इसके व्यक्तित्व को मजबूत और तेजस्वी बनाएंगी।"
अखंड ज्योति
अप्रैल 2021

Comentarios